अमेरिकी चुनावों पर अनिश्चितता के बीच सोमवार सुबह शेयरों में घबराहट हुई, क्योंकि रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति पद की दौड़ में डेमोक्रेट कमला हैरिस के साथ आमने-सामने थे। इंडिया इंक के लिए FY25 आय अनुमानों में गिरावट, मजबूत विदेशी बहिर्वाह, रिकॉर्ड कम रुपया और भू-राजनीतिक तनाव के कारण OPEC+ आउटपुट में देरी के कारण तेल की कीमतों में वृद्धि ने घरेलू शेयरों में बिकवाली दबाव को जन्म दिया।
बीएसई सेंसेक्स 869.16 अंक या 1.09 प्रतिशत गिरकर 78,854.96 पर कारोबार कर रहा था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 267.45 अंक या 1.1 प्रतिशत के नुकसान से 24,036.90 अंक पर कारोबार कर रहा था। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड और इंफोसिस लिमिटेड ने इंडेक्स में गिरावट में सबसे ज्यादा योगदान दिया।
उन्होंने कहा, ‘भारतीय बाजार आय वृद्घि में गिरावट से मुश्किलों का सामना कर रहा है। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के नतीजों के मुताबिक निफ्टी की ईपीएस वृद्घि वित्त वर्ष 2025 में 10 फीसदी से नीचे आ सकती है, जिससे वित्त वर्ष 2025 की अनुमानित आय के करीब 24 गुना के मौजूदा मूल्यांकन को बनाए रखना मुश्किल होगा। जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, ‘आय वृद्घि के मुश्किल माहौल में एफआईआई बिकवाली जारी रख सकते हैं।
इस कठिन परिस्थिति में निवेशकों के लिए उचित मूल्यवान लार्जकैप में निवेश बने रहना सुरक्षित विकल्प है।
आंकड़ों के अनुसार एफपीआई ने अक्टूबर में 1,13,858 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे, जो एफपीआई द्वारा एक महीने में अब तक की सबसे बड़ी बिकवाली है। इस अनवरत बिकवाली ने बेंचमार्क सूचकांकों में शिखर से करीब 8 फीसदी की गिरावट दर्ज की। कमाई की निराशा की प्रवृत्ति में एक भूमिका है।